किन्नर अखाड़ा | किन्नरों को शास्त्रों में उपदेवता कहा गया है. पहली बार प्रयागराज कुंभ में शरीक होने के लिए आए किन्नरों के अखाड़े का शहरियों-श्रद्धालुओं ने जिस तरह अभिनंदन किया, वह उपदेवता की उनकी पदवी को उचित ही ठहराता है. <br />उज्जैन कुंभ के दिनों में 13 अक्टूबर 2015 को यह अखाड़ा वजूद में आया. <br />महामण्डलेश्वर और पीठाधीश्वर चुने गए और तब उज्जैन के कुम्भ में यह अखाड़ा पहली बार शामिल हुआ. प्रयागराज के अर्द्धकुम्भ में भी उनकी आमद पहली बार ही हुई थी. <br />छह जनवरी को कीडगंज से संगम के लिए रवाना हुए किन्नर अखाड़े की पेशवाई देखने के लिए लोग जगह-जगह उमड़ पड़े थे. रास्ते भर लोगों ने उन्हें रोककर अपने बच्चों को दुआ देने को कहा या फिर समृद्धि की ख़ातिर उनके जूठे किए हुए सिक्के लेकर घर लौटे. <br />और कमोबेश यही हालत संगम पर किन्नर अखाड़े के कैम्प में हुआ करती थी, जहाँ उनसे मिलने के लिए लोग लाइन लगाकर खड़े मिलते. <br />